हाल के दिनों में पूंजी बाजार से लेकर तकनीकी दुनिया तक में भारी उथल-पुथल और तहलका मचाने वाला बिटकॉइन असल में क्या है?
आखिर बिटकॉइन में ऐसी क्या खासियत है, जिसने पूरी दुनिया में भारी उथल-पुथल मचा दी एवं किस रूप एवं किस प्रक्रिया के तहत यह काम करता है?
दरअसल बिटकॉइन एक क्रिप्टो करेंसी है। बिटकॉइन लोगों को यह सहूलियत देता है कि वह धन का ट्रांजैक्शन बेहद आसानी एवं सुरक्षा के साथ कर सकते हैं। इसमें एक मोबाइल ऐप वॉलेट की तरह उपयोग किया जाता है। जिसमें बिटकॉइन अमाउंट और प्राप्तकर्ता के अकाउंट नंबर भरने होते हैं। उदाहरण के लिए अगर A व्यक्ति B व्यक्ति को 5 बिटकॉइन भेजता है, तो A के खाते में मौजूद बिटकॉइंस में से 5 बिटकॉइन कम हो जाएंगे और B के खाते में मौजूद बिटकॉइंस में 5 बिटकॉइन जुड़ जायेंगे। जैसे ही यह ट्रांजैक्शन संपन्न होती है। यह रिकॉर्ड एक पब्लिक लेजर (ladger) में सुरक्षित हो जाता है। इस पब्लिक लेजर को बिटकॉइन नेटवर्क मेंटेन करता है। यह प्रक्रिया बेहद ही सुरक्षात्मक है। इस में सेंधमारी लगभग नामुमकिन के आसपास है, क्योंकि जैसे ही ए व्यक्ति बिटकॉइन अमाउंट और बी का अकाउंट नंबर टाइप करके ट्रांजैक्शन कंप्लीट का बटन दबाता है, तो असल में यह पब्लिक लेजर को एक मैसेज भेजता है। जिसमें अमाउंट और अकाउंट नंबर जैसे पब्लिक की (key) के साथ-साथ ए का प्राइवेट डिजिटल यूनिक सिग्नेचर होता है। यह मैसेज पूरी तरह एंक्रिप्टेड मैसेज होता है। जिससे इसकी प्रतिकृति अथवा प्रतिलिपि बनाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
बहुत सारी वेबसाइट्स भी आजकल बिटकॉइन से शॉपिंग का विकल्प मुहैया करवाती है। इससे आप बिना किसी बैंक में अपने ट्रांजैक्शन को रिकॉर्ड करवाएं भी कोई शॉपिंग कर सकते हैं। इसके अलावा बिटकॉइन को कोई एक संस्था अथवा कंपनी रेगुलेट नहीं करती है। बिटकॉइन को बिटकॉइन नेटवर्क रेगुलेट करता है। बिटकॉइन नेटवर्क ही इसे मेंटेन करता है। बिटकोइन नेटवर्क पब्लिक नेटवर्क है, जो आम लोगों से बना है, जो बिटकॉइन का उपयोग करते हैं, बिटकॉइन इस्तेमाल करते हैं। इससे लोगों को यह सहूलियत मिलती है कि उनका बिटकॉइन हमेशा बिटकॉइन ही रहेगा।
इसमें किसी तरह के सरकारी दखल या नोटबंदी जैसे किसी भी प्रकार की कोई भी लीगल टेंडर संबंधित वाद बिटकॉइन के साथ नहीं हो सकते हैं।
इन षभी ब्लॉकचेन को मिलाकर ही बिटकॉइन पब्लिक लेजर बनता है।
ऐसा नहीं है कि सतोषी नाकामोटो से पहले किसी ने डिजिटल करेंसी बनाने के प्रयास नहीं किए थे, लेकिन मुख्य चुनौती डबल पेमेंट की थी। क्योंकि डिजिटल करेंसी महज डेटा पर आधारित होती है। इस कारण उस की प्रतिलिपि बनाना आसान हो सकता है और कोई भी व्यक्ति इसका दो बार अथवा इससे ज्यादा भी भुगतान कर सकता है। इससे एक असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और वह करेंसी काम नहीं कर पाएगी।
इसलिए इसका यह निवारण निकाला गया कि एक बहुत बड़ा पब्लिक लेजर बनाया जाए, जिसमें सभी ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रखा जाएगा एवं थर्ड पार्टी अथवा कोई अन्य संस्था इसे नियन्त्रित करेगा। इस विचार पर यह सवाल उठने लगे कि अगर किसी थर्ड पार्टी की भागीदारी इसमें होता है तो विकेंद्रीकरण का विचार त्यागना पड़ेगा।
इस दुविधा से निकलने के लिए सतोषी नाकामोटो ने एक और बेहतरीन विचार दिया। इस विचार के तहत बिटकॉइन लेजर को सार्वजनिक कर दिया गया। बिटकॉइन लेजर आम जनता द्वारा मेंटेन किया जाता है, जो बिटकॉइन उपयोग करते हैं। सतोषी नाकामोटो के इस विचार के आधार पर बिटकॉइन यूजर्स से अपील की गई, कि वो अपने कंप्यूटर के CPU की पावर का इस्तेमाल बिटकॉइन लेज़र को मेंटेन करने के लिए दें। इसके बदले जो लोग बिटकॉइन लेजर को अपने कंप्यूटर के CPU की पावर इस्तेमाल करने देंगे, उन्हें नए बिटकॉइन के सृजन अथवा माइनिंग करने का मौका मिलेगा।
बिटकॉइन माइनिंग अथवा बिटकॉइन का सृजन असल में बिटकॉइन द्वारा यूजर्स को दिया गया रिवार्ड है। बिटकॉइन माइनिंग के लिए यूजर को अपने कंप्यूटर के CPU के पावर का इस्तेमाल बिटकॉइन लेज़र को करने की अनुमति देनी होती है।
इसके लिए यूजर को अपने कंप्यूटर सिस्टम में बिटकॉइन का एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होता है। यह सॉफ्टवेयर लेजर से मिलने वाली विभिन्न जटिल गणितीय गणनाओं को हल करके पुनः बिटकॉइन नजर के पास भेजता है, जिससे लेजर को निर्णय लेने में आसानी होती है एवं इन निर्णयों में गतिशीलता बनी रहती है।
दरअसल यह माइनिंग अथवा गणितीय गणनाएं बेहद ही जटिल होती है। इस कारण आम कंप्यूटर बिटकॉइन के इस सॉफ्टवेयर को सपोर्ट नहीं करते हैं। इसके लिए हैवी ड्यूटी CPU और सुपर पावर हैवी ड्यूटी CPU आदि अनिवार्य हो जाते हैं। आम CPU से अगर बिटकॉइन के इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाए तो पूरे महीने भर भी महज ₹200 तक कमाए जा सकते हैं अथवा इस से भी कम। लेकिन हाल के समय में लोगों ने बिटकॉइन को अपने करियर के रूप में लिया है और बहुत ही भारी भरकम हैवी ड्यूटी CPU अपने सिस्टम पर इंस्टॉल किया है। जिससे लेजर को बहुत ज्यादा पावर मिलती है एवं वह जटिल से जटिल गणितीय गणना को हल करने में सक्षम हो पाता है एवं बिटकॉइन नेटवर्क सही ढंग से काम कर पाता है।
जो यह सब कर पाता है, बिटकॉइन उसे रीवार्ड देता है। यह रीवार्ड बिटकॉइंस में ही होते हैं, लेकिन मौजूदा दौर में बिटकॉइन में भारी निवेश के कारण बिटकॉइन आज फायदे का सौदा हो चुका है।
इसके अलावा एक अन्य कारण यह भी था कि हाल ही में हुए रैनसमवेयर वायरस के अटैक से हैकर ने कंप्यूटर में मौजूद डाटा को एंक्रिप्ट कर दिया था और उसे पुनः डिक्रिप्ट करने के लिए फिरौती मांगी। यह फिरौती बिटकॉइंस में ही ली जा रही थी। जिससे बहुत सारे लोगों को इसमें परेशानी यह हुई कि उनके पास बिटकॉइंस नहीं थे। इसलिए उन्होंने अपनी रियल करेंसी को बिटकॉइंस में कन्वर्ट किया। इन ट्रांजेक्शन के कारण भी बिटकॉइन का वैल्यूएशन बहुत बढ़ गया।
बिटकॉइन से जुड़े कुछ चुनौतियों में से प्रमुख चुनौतियां यह है कि अभी भी विश्व भर में बहुत सारे लोग बिटकॉइंस का उपयोग करना नहीं जानते हैं। जिससे इसकी तरलता प्रभावित होती है। अभी भी बहुत सारे विकासशील एवं पिछड़े देशों में बिटकॉइंस जैसी किसी व्यवस्था को लेन-देन में स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल है।
बिटकॉइन की वर्टेलिटी भी इसकी एक बड़ी समस्या है। क्योंकि इसके बाजारभाव काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। जिससे इसकी विश्वसनीयता एवं लोकप्रियता में भी हमें रोचक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
बिटकॉइन से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बिटकॉइन लेजर की जटिल गणितीय गणना के एल्गोरिदम के अनुसार अधिकतम 21 मिलियन बिटकॉइंस ही हो सकते हैं। इससे ज्यादा बिटकॉइन हो ही नहीं सकते हैं। इस कारण मांग एवं आपूर्ति के बीच धीरे-धीरे ग्राफ असंतुलित होता जाएगा एवं एक समय पर आकर मांग और आपूर्ति के बीच की यह दूरी काफी बढ़ सकती है। क्योंकि अगर बिटकॉइन का इस्तेमाल एवं मांग इसी तरह बढ़ती रही और आपूर्ति 21 मिलियन पर आकर रूकती है तो उसके बाद इसे संतुलित कर पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
आखिर बिटकॉइन में ऐसी क्या खासियत है, जिसने पूरी दुनिया में भारी उथल-पुथल मचा दी एवं किस रूप एवं किस प्रक्रिया के तहत यह काम करता है?
बिटकॉइन क्या है?
दरअसल बिटकॉइन एक क्रिप्टो करेंसी है। बिटकॉइन लोगों को यह सहूलियत देता है कि वह धन का ट्रांजैक्शन बेहद आसानी एवं सुरक्षा के साथ कर सकते हैं। इसमें एक मोबाइल ऐप वॉलेट की तरह उपयोग किया जाता है। जिसमें बिटकॉइन अमाउंट और प्राप्तकर्ता के अकाउंट नंबर भरने होते हैं। उदाहरण के लिए अगर A व्यक्ति B व्यक्ति को 5 बिटकॉइन भेजता है, तो A के खाते में मौजूद बिटकॉइंस में से 5 बिटकॉइन कम हो जाएंगे और B के खाते में मौजूद बिटकॉइंस में 5 बिटकॉइन जुड़ जायेंगे। जैसे ही यह ट्रांजैक्शन संपन्न होती है। यह रिकॉर्ड एक पब्लिक लेजर (ladger) में सुरक्षित हो जाता है। इस पब्लिक लेजर को बिटकॉइन नेटवर्क मेंटेन करता है। यह प्रक्रिया बेहद ही सुरक्षात्मक है। इस में सेंधमारी लगभग नामुमकिन के आसपास है, क्योंकि जैसे ही ए व्यक्ति बिटकॉइन अमाउंट और बी का अकाउंट नंबर टाइप करके ट्रांजैक्शन कंप्लीट का बटन दबाता है, तो असल में यह पब्लिक लेजर को एक मैसेज भेजता है। जिसमें अमाउंट और अकाउंट नंबर जैसे पब्लिक की (key) के साथ-साथ ए का प्राइवेट डिजिटल यूनिक सिग्नेचर होता है। यह मैसेज पूरी तरह एंक्रिप्टेड मैसेज होता है। जिससे इसकी प्रतिकृति अथवा प्रतिलिपि बनाना लगभग नामुमकिन हो जाता है।
क्रिप्टो करेंसी
बिटकॉइन को क्रिप्टोकरेंसी इसलिए कहा जाता है कि यह क्रिप्टोग्राफी पर आधारित है। साधारण शब्दों में क्रिप्टोग्राफी का मतलब है कूट भाषा का निर्माण और बने हुए कूट को पुनः सही रूप में पढ़ना। डिजिटल भाषा में इसे एंक्रिप्शन कहा जाता है और इस तरह की भाषा को एंक्रिप्टेड लैंग्वेज कहा जाता है। इसी प्रक्रिया पर बिटकॉइन नेटवर्क काम करता है। बिटकॉइन नेटवर्क में जैसे ही A व्यक्ति B व्यक्ति का अकाउंट नंबर टाइप करता है तो बिटकॉइन नेटवर्क में जो मैसेज आता है, उसमें पब्लिक की (Key) और प्राइवेट की (Key) दोनों का इस्तेमाल A व्यक्ति की तरफ से होता है। यह मैसेज पूरी तरह इंक्रिप्टेड होता है। जिसमें 800 से 3000 वर्ण (Letters) हो सकते हैं। अगर एक व्यक्ति एक दिन में 1 से ज्यादा बार या फिर बिटकॉइन में कभी भी दोबारा ऐसा संदेश बिटकॉइन लेजर को ट्रांजैक्शन हेतु भेजता है, तो यह एंक्रिप्टेड लैंग्वेज हर बार अलग होगी। इस कारण इस की प्रतिकृति बनाना लगभग नामुमकिन हो जाता है। इसी क्रिप्टोग्राफी के कारण ही बिटकॉइन जैसी करेंसी को क्रिप्टो करेंसी कहा जाता है।बिटकॉइन के फीचर
बिटकॉइन एक डिजिटल मुद्रा है, जो किसी भी सरकार अथवा बैंक से आबद्ध अथवा सूचीबद्ध नहीं है। बिटकॉइन कैश अथवा नगदी का ऑनलाइन वर्जन है। बिटकॉइन में कोई भी व्यक्ति अज्ञात रहकर भी धन का लेन देन कर सकता है, वह भी ऑनलाइन माध्यमों से।बहुत सारी वेबसाइट्स भी आजकल बिटकॉइन से शॉपिंग का विकल्प मुहैया करवाती है। इससे आप बिना किसी बैंक में अपने ट्रांजैक्शन को रिकॉर्ड करवाएं भी कोई शॉपिंग कर सकते हैं। इसके अलावा बिटकॉइन को कोई एक संस्था अथवा कंपनी रेगुलेट नहीं करती है। बिटकॉइन को बिटकॉइन नेटवर्क रेगुलेट करता है। बिटकॉइन नेटवर्क ही इसे मेंटेन करता है। बिटकोइन नेटवर्क पब्लिक नेटवर्क है, जो आम लोगों से बना है, जो बिटकॉइन का उपयोग करते हैं, बिटकॉइन इस्तेमाल करते हैं। इससे लोगों को यह सहूलियत मिलती है कि उनका बिटकॉइन हमेशा बिटकॉइन ही रहेगा।
इसमें किसी तरह के सरकारी दखल या नोटबंदी जैसे किसी भी प्रकार की कोई भी लीगल टेंडर संबंधित वाद बिटकॉइन के साथ नहीं हो सकते हैं।
बिटकॉइन डाटा
बिटकॉइन पब्लिक लेज़र
बिटकॉइन पब्लिक लेजर एक पब्लिक रिकॉर्ड है। जिसमें बिटकॉइन की स्थापना से लेकर आज तक हुए सभी कंफर्म ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड मौजूद है। दिसंबर 2017 तक इस पब्लिक लेजर कार्ड डाटा 3.2 गीगाबाइट हो चुका था। दरअसल पब्लिक लेजर में रिकॉर्ड किए गए सभी डाटा एंक्रिप्टेड है, जिसमें से अकाउंट नंबर एवं बिटकॉइन की संख्या ही स्टोर की जाती है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितने बिलियन अथवा ट्रिलियन बिटकॉइन ट्रांजैक्शन पिछले कुछ सालों में हुए होंगे, तब जाकर बिटकॉइन लेजर का डाटा स्टोरेज 3 गीगाबाइट से भी ऊपर पहुंच चुका है।बिटकॉइन ब्लॉक् चैन
ब्लॉकचेन दरअसल एक पुस्तिका की तरह है। जिसमें आज तक के सभी बिटकॉइन ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रखा जाता है। मान लीजिए की शुरुआती कुछ ट्रांजैक्शन को रिकोर्ड करने के बाद एक पेज अथवा एक ब्लॉक भर गया है, तो उसमें दूसरा पेज अथवा ब्लॉक जोड़ा गया। अगली ट्रांजैक्शन के रिकॉर्ड दर्ज करने के लिए और इस तरह जैसे जैसे ट्रांजैक्शन बढ़ते गए पेज अथवा बिटकॉइन ब्लॉक्स भी बढ़ते गए। इन ब्लॉक्स की सबसे बड़ी बात यह है कि यह पूर्णत सुव्यवस्थित है एवं क्रमबद्ध तरीके से व्यवस्थित है।इन षभी ब्लॉकचेन को मिलाकर ही बिटकॉइन पब्लिक लेजर बनता है।
बिटकॉइन की स्थापना और इतिहास
1 नवंबर 2008 को एक सभा में सतोषी नाकामोटो नाम के एक शख्स ने एक नई डिजिटल करेंसी के निर्माण का सुझाव दिया। जिसमें कहा गया कि यह करेंसी किसी सरकार अथवा बैंक द्वारा मेन्यूप्लेट नहीं की जा सकेगी एवं यह पूर्णत स्वतंत्र मुद्रा होगी। इससे एक डिजिटल करेंसी के साथ-साथ शक्ति के विकेंद्रीकरण का भी विकल्प खुला रहेगा।ऐसा नहीं है कि सतोषी नाकामोटो से पहले किसी ने डिजिटल करेंसी बनाने के प्रयास नहीं किए थे, लेकिन मुख्य चुनौती डबल पेमेंट की थी। क्योंकि डिजिटल करेंसी महज डेटा पर आधारित होती है। इस कारण उस की प्रतिलिपि बनाना आसान हो सकता है और कोई भी व्यक्ति इसका दो बार अथवा इससे ज्यादा भी भुगतान कर सकता है। इससे एक असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी और वह करेंसी काम नहीं कर पाएगी।
इसलिए इसका यह निवारण निकाला गया कि एक बहुत बड़ा पब्लिक लेजर बनाया जाए, जिसमें सभी ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड रखा जाएगा एवं थर्ड पार्टी अथवा कोई अन्य संस्था इसे नियन्त्रित करेगा। इस विचार पर यह सवाल उठने लगे कि अगर किसी थर्ड पार्टी की भागीदारी इसमें होता है तो विकेंद्रीकरण का विचार त्यागना पड़ेगा।
इस दुविधा से निकलने के लिए सतोषी नाकामोटो ने एक और बेहतरीन विचार दिया। इस विचार के तहत बिटकॉइन लेजर को सार्वजनिक कर दिया गया। बिटकॉइन लेजर आम जनता द्वारा मेंटेन किया जाता है, जो बिटकॉइन उपयोग करते हैं। सतोषी नाकामोटो के इस विचार के आधार पर बिटकॉइन यूजर्स से अपील की गई, कि वो अपने कंप्यूटर के CPU की पावर का इस्तेमाल बिटकॉइन लेज़र को मेंटेन करने के लिए दें। इसके बदले जो लोग बिटकॉइन लेजर को अपने कंप्यूटर के CPU की पावर इस्तेमाल करने देंगे, उन्हें नए बिटकॉइन के सृजन अथवा माइनिंग करने का मौका मिलेगा।
बिटकॉइन का संस्थापक
बिटकॉइन का जनक सतोषी नाकामोटो को माना जाता है। लेकिन असल में सतोषी नाकामोटो नाम का कोई शख्स था भी अथवा नहीं, यह साफ साफ कह पाना बहुत मुश्किल है। बिटकॉइन के बनने के बाद सतोषी नाकामोटो की प्रोफाइल लगभग 1 साल तक एक्टिव रहने के बाद इनएक्टिव हो गई। उनकी प्रोफाइल से ईमेल्स के रिप्लाई आने बंद हो गए। कोई नहीं जानता की सतोषी नाकामोटो कौन है अथवा क्या जिस शख्स ने यह विचार दिया सतोषी नाकामोटो महज उसका एक छद्म नाम था? वर्तमान में सतोषी नाकामोटो नाम का यह शख्स कहां है, क्या कर रहा है? इसके बारे में कोई कुछ नहीं जानता। लेकिन आज भी बिटकॉइन के संस्थापक के रूप में सतोषी नाकामोटो का नाम ही आता है।बिटकॉइन माइनिंग
बिटकॉइन माइनिंग अथवा बिटकॉइन का सृजन असल में बिटकॉइन द्वारा यूजर्स को दिया गया रिवार्ड है। बिटकॉइन माइनिंग के लिए यूजर को अपने कंप्यूटर के CPU के पावर का इस्तेमाल बिटकॉइन लेज़र को करने की अनुमति देनी होती है।
इसके लिए यूजर को अपने कंप्यूटर सिस्टम में बिटकॉइन का एक सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना होता है। यह सॉफ्टवेयर लेजर से मिलने वाली विभिन्न जटिल गणितीय गणनाओं को हल करके पुनः बिटकॉइन नजर के पास भेजता है, जिससे लेजर को निर्णय लेने में आसानी होती है एवं इन निर्णयों में गतिशीलता बनी रहती है।
दरअसल यह माइनिंग अथवा गणितीय गणनाएं बेहद ही जटिल होती है। इस कारण आम कंप्यूटर बिटकॉइन के इस सॉफ्टवेयर को सपोर्ट नहीं करते हैं। इसके लिए हैवी ड्यूटी CPU और सुपर पावर हैवी ड्यूटी CPU आदि अनिवार्य हो जाते हैं। आम CPU से अगर बिटकॉइन के इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाए तो पूरे महीने भर भी महज ₹200 तक कमाए जा सकते हैं अथवा इस से भी कम। लेकिन हाल के समय में लोगों ने बिटकॉइन को अपने करियर के रूप में लिया है और बहुत ही भारी भरकम हैवी ड्यूटी CPU अपने सिस्टम पर इंस्टॉल किया है। जिससे लेजर को बहुत ज्यादा पावर मिलती है एवं वह जटिल से जटिल गणितीय गणना को हल करने में सक्षम हो पाता है एवं बिटकॉइन नेटवर्क सही ढंग से काम कर पाता है।
जो यह सब कर पाता है, बिटकॉइन उसे रीवार्ड देता है। यह रीवार्ड बिटकॉइंस में ही होते हैं, लेकिन मौजूदा दौर में बिटकॉइन में भारी निवेश के कारण बिटकॉइन आज फायदे का सौदा हो चुका है।
बिटकॉइन कैसे मिलता है?
एक आम यूजर को बिटकॉइन हासिल करने के कई रास्ते हो सकते हैं।बिटकॉइन में पूँजी निवेश
प्रथम विकल्प के अनुसार कोई भी व्यक्ति अपने देश की किसी भी मान्य करेंसी से बिटकॉइंस खरीद सकता है। यह खरीद उस समय के बाजार भाव पर आधारित होती है। अगर बिटकॉइन बहुत महंगा है तो कोई भी व्यक्ति पूरा बिटकॉइन ना खरीद कर उसका एक छोटा हिस्सा भी खरीद सकता है।बिटकॉइन में भुगतान प्राप्ति
अगर आप कोई सेवा ऑनलाइन बेच रहे हैं, तो भी आप यह सौदा बिटकॉइन में करके बिटकॉइन हासिल कर सकते हैं। क्योंकि ऑनलाइन ट्रेडिंग, शॉपिंग एवं सर्विस प्रोवाइड में बिटकॉइन ट्रांजैक्शन आज एक प्रमुख ट्रांजैक्शन बन रहा है।बिटकॉइन माइनिंग
तीसरा विकल्प आप एक बेहतरीन सुपर पावर हाई ब्यूटी कंप्यूटर तैयार करके बिटकॉइन माइनिंग से भी बिटकॉइन अर्जित कर सकते हैं। इस हैवी ड्यूटी कंप्यूटर को बिटकॉइन रिग कहा जाता है। लगभग 7 से 10 लाख रूपयों के खर्चे से, जिस में हैवी ड्यूटी CPU, बेहतरीन GPU एवं ग्राफिक कार्ड इंस्टॉल किए जाते हैं, के द्वारा भी बिटकॉइंस पाए जा सकते हैं।बिटकॉइन का भविष्य
बिटकॉइन के हालिया चर्चा के कारण
हाल के दिनों में बिटकॉइन का इतना अधिक चर्चा में बने रहने के कई प्रमुख कारण है। इन में से एक प्रमुख कारण यह है कि हाल ही में जापान सरकार ने एक कानून पारित किया है। जिसके अनुसार अब जापान में बिटकॉइन 1 लीगल पेमेंट मेथड होगा, जबकि रूस इस बारे में अभी विचार कर रहा है। जिससे वैश्विक अर्थव्यवस्था में बिटकॉइन के लिए दरवाजे खुल रहे हैं और बिटकॉइन का आयाम बढ़ रहा है।इसके अलावा एक अन्य कारण यह भी था कि हाल ही में हुए रैनसमवेयर वायरस के अटैक से हैकर ने कंप्यूटर में मौजूद डाटा को एंक्रिप्ट कर दिया था और उसे पुनः डिक्रिप्ट करने के लिए फिरौती मांगी। यह फिरौती बिटकॉइंस में ही ली जा रही थी। जिससे बहुत सारे लोगों को इसमें परेशानी यह हुई कि उनके पास बिटकॉइंस नहीं थे। इसलिए उन्होंने अपनी रियल करेंसी को बिटकॉइंस में कन्वर्ट किया। इन ट्रांजेक्शन के कारण भी बिटकॉइन का वैल्यूएशन बहुत बढ़ गया।
बिटकॉइन की चुनौतियां
एक हद तक बिटकॉइन पूर्णता गुप्त लेनदेन पर आधारित है। क्योंकि लेजर में उपलब्ध रिकॉर्ड में सिर्फ अकाउंट नंबर ही होते हैं। इन अकाउंट नंबर से यह पता नहीं किया जा सकता कि यह अकाउंट वास्तव में किसका है। लेकिन अगर वह व्यक्ति अपने बिटकॉइन अकाउंट से पैसा विड्रॉल करता है अपने किसी बैंक अकाउंट में, तो उसकी पहचान संभव हो सकती है। अगर वह व्यक्ति आजीवन बिटकॉइन से ही लेनदेन अथवा अपनी क्रय विक्रय पर निर्भर रहता है तो उसकी पहचान कर पाना लगभग असंभव है।बिटकॉइन से जुड़े कुछ चुनौतियों में से प्रमुख चुनौतियां यह है कि अभी भी विश्व भर में बहुत सारे लोग बिटकॉइंस का उपयोग करना नहीं जानते हैं। जिससे इसकी तरलता प्रभावित होती है। अभी भी बहुत सारे विकासशील एवं पिछड़े देशों में बिटकॉइंस जैसी किसी व्यवस्था को लेन-देन में स्वीकार कर पाना बहुत मुश्किल है।
बिटकॉइन की वर्टेलिटी भी इसकी एक बड़ी समस्या है। क्योंकि इसके बाजारभाव काफी उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं। जिससे इसकी विश्वसनीयता एवं लोकप्रियता में भी हमें रोचक बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
बिटकॉइन से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि बिटकॉइन लेजर की जटिल गणितीय गणना के एल्गोरिदम के अनुसार अधिकतम 21 मिलियन बिटकॉइंस ही हो सकते हैं। इससे ज्यादा बिटकॉइन हो ही नहीं सकते हैं। इस कारण मांग एवं आपूर्ति के बीच धीरे-धीरे ग्राफ असंतुलित होता जाएगा एवं एक समय पर आकर मांग और आपूर्ति के बीच की यह दूरी काफी बढ़ सकती है। क्योंकि अगर बिटकॉइन का इस्तेमाल एवं मांग इसी तरह बढ़ती रही और आपूर्ति 21 मिलियन पर आकर रूकती है तो उसके बाद इसे संतुलित कर पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा।
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