पिछले कुछ समय से बेहद चर्चा में रही भारतमाला परियोजना दरअसल नितिन गडकरी के अनुसार अब तक की भारतीय इतिहास की आधारभूत ढांचा विकास की सबसे बड़ी परियोजना है।
यह परियोजना सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत लाई जा रही है। भारत के केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस परियोजना की घोषणा विगत वर्ष की थी।
यह परियोजना सड़क एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत लाई जा रही है। भारत के केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस परियोजना की घोषणा विगत वर्ष की थी।
भारत माला परियोजना
भारत माला परियोजना क्या है ?
इस परियोजना के तहत संपूर्ण भारत के सभी प्रमुख स्थानों को राजमार्गों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें लगभग 9000 किलोमीटर लंबाई में आर्थिक गलियारे अर्थात इकोनॉमिक कॉरिडोर बनाए जाएंगे। इसके अलावा इंटर कॉरिडोर और फिडर रोड़ की 6000 किलोमीटर लंबी सड़कों का लक्ष्य भी इस परियोजना के तहत रखा गया है। राष्ट्रीय राजमार्गों के नवीनीकरण के अलावा लगभग 5000 किलोमीटर लंबी नऐ राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण का लक्ष्य भी इस परियोजना का एक अहम् अंग है। इसके अलावा परियोजना के लक्ष्यों में सीमा क्षेत्रों में राजमार्गों के लिए 2000 किलोमीटर लंबी सड़कों का लक्ष्य रखा गया है। जबकि तटीय क्षेत्रों में सड़क निर्माण का यह लक्ष्य लगभग 2000 किलोमीटर का रखा गया है। तटीय क्षेत्रों में यह इन राजमार्गों को सागरमाला परियोजना के साथ जोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा परियोजना के विशेष लक्ष्य में लगभग 800 किलोमीटर लंबे ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस वे के निर्माण का लक्ष्य भी रखा गया है। इस तरह इस परियोजना में विशुद्ध रूप से लगभग 24800 किलोमीटर लंबे नए राजमार्ग एवं एक्सप्रेस वे के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। यह 24800 किलो मीटर का लक्ष्य संपूर्ण भारतमाला परियोजना का लक्ष्य न होकर महज इसके प्रथम चरण का लक्ष्य है।भारत माला परियोजना का प्रथम चरण
इसके एकीकृत प्रथम चरण का कुल लक्ष्य 34800 किलोमीटर है, जोकि 10000 किलोमीटर के नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोग्राम के बचे हुए लक्ष्य को सम्मिलित कर लेने पर होता है। नेशनल हाईवे डेवलपमेंट प्रोग्राम सन 1998 में भारत में वाजपेई सरकार के समय लाया गया था। तत्कालीन भारत का यह सबसे बड़ा आधारभूत ढांचा विकास प्रोग्राम था। जिसके लक्ष्यों की प्राप्ति में अभी भी 10000 किलोमीटर सड़क निर्माण का कार्य बाकी है, जिसे वर्तमान भारत माला परियोजना के प्रथम चरण में सम्मिलित कर लिया गया है। इस प्रकार इसके प्रथम चरण में लगभग 34800 किलोमीटर नए राष्ट्रीय राजमार्ग, एक्सप्रेस वे, इकोनॉमिक कॉरिडोर और ग्रीन फील्ड सड़कों के निर्माण होगा।
भारत माला परियोजना की लागत
भारतमाला परियोजना के प्रथम चरण की लागत का आकलन लगभग 535000 करोड़ रुपए आंका गया है। इस भारी भरकम रकम की प्राप्ति कई मदों में की जाएगी। भारतमाला परियोजना के दूसरे चरण में तकरीबन 30600 किलोमीटर लंबे सड़कों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इस प्रकार भारत माला परियोजना में निर्मित सड़कों की कुल लंबाई 65400 किलोमीटर होगी। इस परियोजना के द्वितीय चरण की लागत के आधिकारिक आकलन अभी सार्वजनिक नहीं किए गए हैं। परियोजना के प्रथम चरण की शुरुआत 2018 में होगी। जबकि परियोजना का प्रथम चरण सन 2022 में संपन्न होगा।
इस परियोजना में न केवल बड़ी-बड़ी सड़कों, जैसे सिक्स लेन, आठ लेन और एक्सप्रेस वे के निर्माण पर ही ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त 28 शहरों में रिंग रोड बनाई जाएगी, जबकि 45 मध्यम श्रेणी के शहरों में बाईपास भी बनाए जाएंगे। जिससे छोटी इंटरसिटी एवं इंटर टाउन सड़कों का भी जीर्णोद्धार अथवा नवीनीकरण इसी परियोजना के तहत किया जाएगा।
इस परियोजना से लॉजिस्टिक अर्थात माल ढुलाई के समय यातायात साधनों पर किए गए खर्च में भी कमी आएगी। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों से होने वाली माल ढुलाई के कारण लॉजिस्टिक अर्थात यातायात में खर्च का प्रतिशत 18 प्रतिशत के आसपास है। भारतमाला परियोजना के सफलता पूर्वक संपन्न होने पर यह प्रतिशत घटकर 12% के आसपास आने की उम्मीद है। इससे लॉजिस्टिक्स में 6% की गिरावट का आंकलन किया गया है। अगर चीन से तुलना की जाए तो वर्तमान में चीन में लॉजिस्टिक्स का प्रतिशत 8 से 10% के आसपास है। जबकि भारत माला परियोजना के संपन्न होने पर भारत में यह दर लगभग 11 से 12% के आसपास आ जाएगी।
वर्तमान में संपूर्ण भारत के 276 जिले राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े हुए हैं। लेकिन भारतमाला परियोजना के संपन्न होने पर देश के 550 जिले राष्ट्रीय राजमार्गों की जद में आ जाएंगे। इससे लगभग संपूर्ण भारत में एक बहुत ही सुंदर सड़क नेटवर्क का खाका तैयार हो पाएगा एवं शहरों और कस्बों में इंटर कनेक्टिविटी बेहद सुगम हो पाएगी।
इस परियोजना के अंतर्गत 5300 किलोमीटर लंबे राजमार्ग एवं सड़कों का निर्माण सीमा क्षेत्रों में पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, मयानमार और बांग्लादेश से लगी सीमाओं पर होगा।
परियोजना के द्वितीय चरण में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में होगा। द्वितीय चरण में यह परियोजना सागरमाला परियोजना के साथ मिल जाएगी और तटीय क्षेत्रों में सागरमाला परियोजना के साथ-साथ बंदरगाहों से संपर्कता बेहद सुगम हो पाएगी।
यहां यह स्पष्ट कर देना भी आवश्यक है कि, सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा था, कि केंद्र सरकार 692 हजार करोड़ रुपए देश में सड़क निर्माण पर निवेश करेगी। इस संख्या में से 535000 करोड रुपए ही भारतमाता परियोजना में खर्च किए जाएंगे। जबकि शेष रकम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की अन्य परियोजनाओं में खर्चे जाएंगे ना कि संपूर्ण निवेश भारतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा।
भारत माला परियोजना के लाभ
भारत माला परियोजना से रोजगार
भारतमाला परियोजना में सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के अनुसार 10 करोड मानवीय श्रम दिवसों का सृजन होगा। इनके अलावा लगभग 22000000 नियमित रोजगारों का सृजन भी इस परियोजना के द्वारा होगा। जिससे इस परियोजना की विशालता का अनुमान लगाना संभव हो सकता है।इकनोमिक कॉरिडोर
भारत में वर्तमान में 6 आर्थिक गलियारे अर्थात इकोनॉमिक कॉरिडोर है। संपूर्ण भारत माला परियोजना के तहत 44 नए आर्थिक गलियारे अर्थात इकोनॉमिक कॉरिडोरों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इन सबको मिलाकर भारत में भारतमाला परियोजना की सफलता पूर्वक पूरी होने पर 50 आर्थिक गलियारे अथवा इकोनॉमिकॉरिडोर होंगे।लोजिस्टिक्स में गिरावट
वर्तमान में भारत में माल ढुलाई में राष्ट्रीय राजमार्गों की भागीदारी 40% के आसपास है। भारत माला परियोजना के सफलतापूर्वक संपन्न होने पर भारत में माल ढुलाई की कुल प्रणालियों में से राष्ट्रीय राजमार्गों द्वारा माल ढुलाई में हिस्सेदारी बढ़कर 70 से 80% तक पहुंचने की उम्मीद है, जो अपने आप में एक बहुत बड़ा आंकड़ा होगा।इस परियोजना में न केवल बड़ी-बड़ी सड़कों, जैसे सिक्स लेन, आठ लेन और एक्सप्रेस वे के निर्माण पर ही ध्यान केंद्रित नहीं किया गया है। इसके अतिरिक्त 28 शहरों में रिंग रोड बनाई जाएगी, जबकि 45 मध्यम श्रेणी के शहरों में बाईपास भी बनाए जाएंगे। जिससे छोटी इंटरसिटी एवं इंटर टाउन सड़कों का भी जीर्णोद्धार अथवा नवीनीकरण इसी परियोजना के तहत किया जाएगा।
इस परियोजना से लॉजिस्टिक अर्थात माल ढुलाई के समय यातायात साधनों पर किए गए खर्च में भी कमी आएगी। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों से होने वाली माल ढुलाई के कारण लॉजिस्टिक अर्थात यातायात में खर्च का प्रतिशत 18 प्रतिशत के आसपास है। भारतमाला परियोजना के सफलता पूर्वक संपन्न होने पर यह प्रतिशत घटकर 12% के आसपास आने की उम्मीद है। इससे लॉजिस्टिक्स में 6% की गिरावट का आंकलन किया गया है। अगर चीन से तुलना की जाए तो वर्तमान में चीन में लॉजिस्टिक्स का प्रतिशत 8 से 10% के आसपास है। जबकि भारत माला परियोजना के संपन्न होने पर भारत में यह दर लगभग 11 से 12% के आसपास आ जाएगी।
भारत माला परियोजना से राजमार्ग परिवहन का विकास
भारतमाला परियोजना में सड़कों की बेहद उच्च गुणवत्ता होने के कारण माल ढुलाई वाहनों जैसे ट्रक, कंटेनर और ट्रेलर आदि की गति में भी वृद्धि होगी। वर्तमान में राष्ट्रीय राजमार्गों पर माल ढुलाई वाहनों का औसत गति 45 से 55 किलोमीटर प्रति घंटे की है। लेकिन भारतमाला परियोजना की संपन्न होने पर राष्ट्रीय राजमार्गों पर इन वाहनों की औसत गति 75 से 80 किलोमीटर प्रति घंटे तक होने की उम्मीद जताई गई है।वर्तमान में संपूर्ण भारत के 276 जिले राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़े हुए हैं। लेकिन भारतमाला परियोजना के संपन्न होने पर देश के 550 जिले राष्ट्रीय राजमार्गों की जद में आ जाएंगे। इससे लगभग संपूर्ण भारत में एक बहुत ही सुंदर सड़क नेटवर्क का खाका तैयार हो पाएगा एवं शहरों और कस्बों में इंटर कनेक्टिविटी बेहद सुगम हो पाएगी।
भारत माला परियोजना की रुपरेखा
भारत माला परियोजना की दिशा
भारतमाला परियोजना गुजरात और राजस्थान से आरंभ होकर पंजाब उसके बाद जम्मू कश्मीर तदोपरांत क्रमशः हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल होते हुए नॉर्थ ईस्ट राज्यों की तरफ जाएगी। जिनमें सिक्किम, असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और मिजोरम आदि राज्यों को एक सूत्र में बांधने का काम करेगी।इस परियोजना के अंतर्गत 5300 किलोमीटर लंबे राजमार्ग एवं सड़कों का निर्माण सीमा क्षेत्रों में पाकिस्तान, नेपाल, भूटान, मयानमार और बांग्लादेश से लगी सीमाओं पर होगा।
परियोजना के द्वितीय चरण में पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में होगा। द्वितीय चरण में यह परियोजना सागरमाला परियोजना के साथ मिल जाएगी और तटीय क्षेत्रों में सागरमाला परियोजना के साथ-साथ बंदरगाहों से संपर्कता बेहद सुगम हो पाएगी।
भारत माला परियोजना हेतु पूंजी निर्माण
इस परियोजना के तहत खर्च किए जाने वाले 535000 करोड रुपए की आमद कई मदों से होगी। इसमें 209000 करोड़ रुपए बाजार से सरकारी बांड बेचकर प्राप्त किए जाएंगे। इन बॉण्डस में मुख्यतः नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया अर्थार्थ भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के बॉण्ड बेचकर प्राप्त किए जाएंगे। 106000 करोड़ रुपए निजी निवेश अथवा भागीदारी से प्राप्त करने का लक्ष्य है, क्योंकि यह परियोजना सार्वजनिक निजी सहभागिता अर्थात् पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर आधारित है। जबकि 216000 करोड रुपए सीआरएफ यानी (सेंट्रल रोड फंड) केंद्रीय सड़क कोष से आएंगे। जिन के अंतर्गत मुख्य आय स्रोत सड़कों पर लगे टोल हैं।यहां यह स्पष्ट कर देना भी आवश्यक है कि, सड़क एवं राजमार्ग परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने हाल ही में कहा था, कि केंद्र सरकार 692 हजार करोड़ रुपए देश में सड़क निर्माण पर निवेश करेगी। इस संख्या में से 535000 करोड रुपए ही भारतमाता परियोजना में खर्च किए जाएंगे। जबकि शेष रकम भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की अन्य परियोजनाओं में खर्चे जाएंगे ना कि संपूर्ण निवेश भारतमाला परियोजना के तहत किया जाएगा।
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