नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकी अर्थशास्त्री मिल्टन फ्रीडमेन के अनुसार "इंटरनेट ग्लोबलाइजेशन के लिए सबसे महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली साधन है।"
भारत में इन्टरनेट
हाल ही में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाली 444 मिलियन जनसंख्या में से 60 फ़ीसदी जनसंख्या यानी 269 मिलियन लोग इंटरनेट का उपयोग करते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाले 906 मिलियन लोगों में से मात्र 163 मिलियन लोग ही इंटरनेट का उपयोग करते हैं। ग्रामीण आबादी के 750 मिलियन लोग इंटरनेट की पहुंच से अभी भी दूर है।
जैसा कि हम पहले जा चुके हैं भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महज 17% लोग ही इंटरनेट का उपयोग करते हैं। उनमें से भी अधिकतर टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर द्वारा मोबाइल पर प्रदान की गई डाटा सर्विस का उपयोग ही करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड उपयोगिता का प्रतिशत 1% से भी कम है। इसी कमी को दूर करने के लिए भारत नेट परियोजना लाई गई। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट अधिक स्पीड एवं गुणवत्ता के साथ प्रदान किया जा सके और मोबाइल डाटा पर निर्भरता कम से कम की जा सके।
भारत नेट परियोजना का सही क्रियान्वयन करने के लिए केंद्र सरकार ने अलग से एक कंपनी का खाका तैयार किया है। इस कंपनी का नाम भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड है। यह कंपनी दूरसंचार मंत्रालय के अधीन काम करती है।
भारत में आधारभूत ढांचे की कमी के कारण भारत के तटीय क्षेत्रों तक यह महासागरीय केबलेंं पहुंच गई, लेकिन भारत के मुख्य भू-भाग में इन केबल के द्वारा प्रदान किए गए इंटरनेट की पहुंच तमाम देश में पहुंचाने के लिए भारत नेट परियोजना लाई गई है।
भारत नेट परियोजना को केंद्र सरकार ने कई और परियोजनाओं के साथ जोड़ा है। जिसमें से मेक इन इंडिया एक प्रमुख है। देशभर में बिछने वाली ऑप्टिकल फाइबर केबल भारत में ही बनेगी ना की आयात की जाएगी। इसके अलावा अन्य उपकरण भी जो इस परिपेक्ष्य में कामगार होंगे, उन्हें भारत में ही बनाया जाएगा।
भारत नेट परियोजना
सन 2011 में यूपीए सरकार के दौरान एक कार्यक्रम के तहत नेशनल ब्रॉडबेण्ड नेटवर्क कार्यक्रम चलाया गया। जिसका उद्देश्य, देश की सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड कनेक्शन से जोड़ना था। 2014 में बनी एनडीए सरकार ने 2015 में इसी कार्यक्रम का नाम बदलकर भारत नेट परियोजना कर दिया। ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार ने खाली परियोजना का नाम ही बदला। इस परियोजना की रूपरेखा एवं मॉडल भी बदला गया। वर्तमान भारत नेट परियोजना के लक्ष्य के अनुसार देश की ढाई लाख ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर ब्रॉडबैंड पहुंचाना है।जैसा कि हम पहले जा चुके हैं भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में महज 17% लोग ही इंटरनेट का उपयोग करते हैं। उनमें से भी अधिकतर टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर द्वारा मोबाइल पर प्रदान की गई डाटा सर्विस का उपयोग ही करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड उपयोगिता का प्रतिशत 1% से भी कम है। इसी कमी को दूर करने के लिए भारत नेट परियोजना लाई गई। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट अधिक स्पीड एवं गुणवत्ता के साथ प्रदान किया जा सके और मोबाइल डाटा पर निर्भरता कम से कम की जा सके।
भारत नेट परियोजना का सही क्रियान्वयन करने के लिए केंद्र सरकार ने अलग से एक कंपनी का खाका तैयार किया है। इस कंपनी का नाम भारत ब्रॉडबैंड नेटवर्क लिमिटेड है। यह कंपनी दूरसंचार मंत्रालय के अधीन काम करती है।
ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क
ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क एक ऐसे नेटवर्क का नाम है, जो केबल आधारित नेटवर्क है। दरअसल हम जो इंटरनेट का उपयोग करते हैं वह किसी उपग्रह से ना मिलकर हमें केबल के जरिए मिलता है। यह केबल महासागरों के तली में बिछाई जाती है, जो एक महाद्वीप को दूसरे महाद्वीप से जोड़ती है। यह केबल, ऑप्टिकल फाइबर केबल होती है। इन्हीं केबलों के जरिए इंटरनेट की पहुंच एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप तक होती है।भारत में आधारभूत ढांचे की कमी के कारण भारत के तटीय क्षेत्रों तक यह महासागरीय केबलेंं पहुंच गई, लेकिन भारत के मुख्य भू-भाग में इन केबल के द्वारा प्रदान किए गए इंटरनेट की पहुंच तमाम देश में पहुंचाने के लिए भारत नेट परियोजना लाई गई है।
भारत नेट परियोजना का प्रारूप
इस परियोजना को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने इसे दो चरणों में लागू किया है। परियोजना का प्रथम चरण 2015 से दिसंबर 2017 तक था। जिसे नवंबर 2017 में पूरा कर लिया गया था। परियोजना का द्वितीय चरण जनवरी 2018 से शुरू होना था, जिसे दिसंबर 2017 से ही शुरु कर दिया गया है। परियोजना के द्वितीय चरण का लागत का अनुमानित आंकड़ा 34000 करोड रुपए का है। इस संपूर्ण परियोजना के बाद भारत के सभी 250000 ग्राम पंचायतों और 650000 गांवों तक द्रुतगति इंटरनेट की पहुंच संभव हो पाएगी।भारत नेट परियोजना को केंद्र सरकार ने कई और परियोजनाओं के साथ जोड़ा है। जिसमें से मेक इन इंडिया एक प्रमुख है। देशभर में बिछने वाली ऑप्टिकल फाइबर केबल भारत में ही बनेगी ना की आयात की जाएगी। इसके अलावा अन्य उपकरण भी जो इस परिपेक्ष्य में कामगार होंगे, उन्हें भारत में ही बनाया जाएगा।
0 comments:
Post a Comment