Thursday 8 March 2018

पुनर्जागरण: कारण, आगाज और प्रकृति

By Anuj beniwal

पुनर्जागरण  (Renaissance)


          यह मूल रूप से फ्रेंच भाषा का शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ Reborn अथवा पुनर्जन्म होता है। इस शब्द का प्रथम बार प्रयोग बेसारी ने किया था। इसेे विस्तार से दीदरो ने परिभाषित किया।

            14वीं सदी से सोलहवीं शताब्दी के मध्य यूरोप में बौद्धिक आंदोलन चला। जिसने सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, राजनीतिक व आर्थिक क्षेत्रों को प्रभावित किया तथा इससे मध्यकालीन आस्था व आडंबरों के स्थान पर बौद्धिकता एवं तार्किकता पर बल दिया गया एवं मानवीय भावनाओं एवं संवेदनाओं को अधिक महत्व दिया गया था।
           पुनर्जागरण की शुरुआत इटली के फ्लोरेंस नगर से मानी जाती है।
      फ्लोरेंस के मेडिची परिवार के लोरेंजो मेडिची को इसका श्रेय दिया जाता है।
      लोरेंजो मेडिची ने पुनर्जागरण काल में कलाकारों को प्रोत्साहन एवं संरक्षण दिया।

 पुनर्जागरण के उदय के कारण

धर्म युद्ध 

            धर्म युद्ध में जब यूरोपवासी भाग लेने के लिए अरब आए तो अरब वासियों के संपर्क में आए व उनके बौद्धिक ज्ञान एवं आध्यात्मिक ज्ञान से परिचित हुए। इनसे यूरोपवासियों की मानसिक संकीर्णता कम हुई। 

व्यापार और वाणिज्य 

           14वीं सदी में यूरोप में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ीं। यात्रियों ने समुद्री यात्राएं की जिससें वे एशिया के संपर्क में आए तो, उनके ज्ञान से परिचित हुए।

कुस्तुनतुनिया का पतन 

           1453 ईस्वी में तुर्की ने कस्तुनतूनिया पर अधिकार कर लिया। कस्तुनतूनिया अब तक बेन्जाटाईन साम्राज्य की राजधानी एवं एक सांस्कृतिक केंद्र था। जहां पर प्राचीन यूनानी और रोमन सभ्यता की अनेक महत्वपूर्ण पांडुलिपियां एवं अवशेष उपस्थित थे।
     कस्तुनतूनिया के लोगों ने तुर्कों के आक्रमण के कारण यूरोप की ओर पलायन किया। वो यहां से पांडुलिपियां अपने साथ ले गए।
      कार्डिनल नोसरिया नामक व्यक्ति अकेला अपने साथ 800 पांडुलिपियां ले गया। 

कागज और प्रिंटिंग प्रेस की खोज 

     सर्वप्रथम कागज की खोज चीनी लोगों ने की थी। 
     13वीं सदी में यूरोपवासी मंगोलों के माध्यम से कागज से परिचित हुए। 
     15वीं शताब्दी में गुटनबर्ग (जर्मनी) में प्रिंटिंग प्रेस की खोज हुई। बड़े स्तर पर पुस्तकें छपने लगी। जिससे विचारों का आदान-प्रदान तेज हो गया।

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कम्पास की खोज

            कम्पास की खोज होने से समुद्री यात्राएं आरंभ हो गई। भौगोलिक खोज संभव हो सकी। इससे वयापारिक व वाणिज्यिक गतिविधियां बढ़ीं। वो लोग एक दूसरे के संपर्क में आए।

महान मंगोल साम्राज्य

           मंगोल शासक कबलई खान ने बड़े साम्राज्य की स्थापना की। उसने इस में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया।
     इटली यात्री मार्कोपोलो उसके दरबार में आया और उसने यात्रा वृतांत में कबलई खान के साम्राज्य की प्रशंसा की।

पुनर्जागरण आंदोलन इटली से ही क्यों हुआ?

सामाजिक कारण

           यूरोप के अन्य देशों में जहां सामंतवाद का प्रभाव अधिक था, वहीं इटली का सामाजिक ढांचा अलग था। सामंत नगरों की तरफ पलायन कर चुके सामंतों की तरफ पलायन कर चुके थे तथा नगरों में सम्पन्न व्यापारी वर्ग का उदय हो गया था। इसलिए सामंतों का प्रभाव कम था। समाज में वाणिज्यिक एवं मध्यम वर्ग का प्रभाव ज्यादा था, जो कि बदलाव के समर्थक होते हैं।

भौगोलिक स्थिति

           इटली भूमध्य सागर के तट पर स्थित है। इससे यूरोप का सारा व्यापार इटली के माध्यम से ही होता था। इससे इटली की आर्थिक स्थिति अन्य यूरोपीय देशों की तुलना में बेहतर थी। इसलिए इटली में कला व सांस्कृतिक गतिविधियों को नव धनाढ्य वर्ग ने संरक्षण दिया।
      इटली में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ने से तेजी से नगरों का विकास हुआ। जैसे फ्लोरेंस, वेनिस आदि। ये नगर ही पुनर्जागरण के केंद्र बने।
     भौगोलिक स्थिति के कारण ही इटलीवासी शेष विश्व के संपर्क में सर्वाधिक आए।
           धर्म योद्धा इटली के माध्यम से ही गए थे, वो वापस आते वक्त इटली में ही रुकते थे। कुस्तुनतुनिया के पतन के बाद विस्थापित होने वाले अधिकांश लोग इटली में जाकर रुके।
     प्राचीन रोमन सभ्यता के अवशेष इटली में थे और इटली के लोगों को उसने प्रेरित किया। पोप का केंद्र भी रोम था। चर्च में ही प्रारंभिक सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया था। पोप निकोलस IV में सर्वाधिक सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहन दिया।

इटली की शिक्षा प्रणाली

           यूरोप के अन्य देशों की तुलना में इटली की शिक्षा प्रणाली अलग थी। अन्य देशों में शिक्षा पर धार्मिक प्रभाव अधिक था, वही इटली में अन्य विषयों का प्रभाव अधिक था। इसलिए इटली में एक नए शिक्षित वर्ग का उदय हुआ, जो धार्मिक विचारों से ज्यादा प्रेरित नहीं था।

पुनर्जागरण की प्रकृति

           यह प्राचीन यूनानी रोमन सभ्यता से प्रभावित थी। इसके बावजूद यह पश्चगामी नहीं था। यह आधुनिक मूल्यों से युक्त था।
     इस का सर्वाधिक प्रभाव कला व संस्कृति पर था। जैसे साहित्य, चित्रकला और संगीत आदि।
     इस में परंपरागत आस्था के स्थान पर वैज्ञानिक दृष्टिकोण तार्किकता पर अधिक बल दिया गया।
     यह मुख्यता शहरों में ही केंद्रीय तथा उच्च मध्यम वर्ग और शिक्षित वर्ग तक ही इसका प्रभाव था।
     इसमें अध्यात्मवाद की अपेक्षा भौतिकवाद पर अधिक बल दिया गया था।
     मानववाद इसका केंद्रिय विषय था।

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