Thursday 18 January 2018

मिशन सीरिया' से पुतिन बने मध्य पूर्व के 'दबंग'

By Anuj beniwal

putin in siriya

           2015 में जब रूस ने सीरिया में सैन्य अभियान शुरू किया था तब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भविष्यवाणी की थी कि, मॉस्को 'दलदल में फंसने जा रहा है'। तत्कालीन अएरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर ने कहा था कि, रूस की नीति 'नाकाम होनी तय है'
           अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि रूस ने दो साल में ही इन भविष्यवाणीय करने वालों को ग़लत साबित कर करारा जवाब दे दिया है। हाल ही मे औचक दौरे पर सीरिया गए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने देश के सैनिकों से यह कहाा था कि, वो 'शानदार' तरीके से लड़े और 'विजेताओं की तरह घर लौट सकते हैं'। पुतिध ने सीरिया में मौजूद रूसी सैन्य शक्ति के 'अहम हिस्से' की वापसी का फरमान जारी कर दिया
           सवाल यह भी उठाया जा रहा है कि, क्या रूस का मिशन पूरा हो चुका है? मौजूदा हालात में लगता तो ऐसा ही है। जब सितंबर 2015 में अपने मिशन की जानकारी देते हुए राष्ट्रपति पुतिन ने सार्वजनिक रूप से बताया था कि, हमाारा मकसद 'अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद' से संघर्ष है। कथित इस्लामिक स्टेट को सीरिया में धूूल चटाना है हालांकि पश्चिमी देशों की तिलमिलााती सरकारेें सीरिया के पश्चिम समर्थित कथित उदारवादी विपक्ष को निशाना बनाने का बहाना बनाकर रूस की आलोचना करती और रूसी प्रभाव पर खिसियाती रही हैं। रूस के अभियान का एक और मुख्य मक़सद था, अपने सहयोगी सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद को सत्तासीन बनाए रखना बहरहाल रूस ने ये लक्ष्य हासिल कर लिया है। सीरिया को रूस की ओर से मिले इस सैन्य समर्थन ने ज़मीन पर हालात को बशर अल असद के पक्ष में ला दिया वर्तमान में सीरिया में सरकार बदलने की संभावना धूमिल हो गई
                     अमेरिका, तुर्की और सऊदी अरब शांति के लिए बशर अल असद को हटाए जाने को शर्त रख रहे थे, लेकिन अब वो ऐसा नहीं कर पा रहे है। सीरिया की राजनीति में अहम बने रहने का श्रेय असद, रूस के राष्ट्रपति पुतिन को ही देते हैं और इससे सीरिया में पुतिन  का प्रभाव सुस्पष्टतः साबित होता है
           मध्य पूर्व में रूस की भूमिका महज सीरिया तक सीमित नहीं है रूस इस संघर्ष से पूरे क्षेत्र में 'बड़े खिलाड़ी' के रूप में उभरा है। इस उद्देश्य के लिए रूस ने कई राजनैतिक और कूटनीतिक कदम उठाये जैसे-  मिस्र के हवाई क्षेत्र और हवाई पट्टी की रूस को इस्तेमाल की अनुमति देने के लिए मिस्र से बातचीत, तुर्की से सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइल प्रणाली देने के लिए बातचीत, सऊदी अरब से संबध सुधारने के लिए कोशिश और पूरे मध्य पूर्व में रूस की कूटनीति सीरिया में राजनीतिक स्थिरता कायम करने के लिए कोशिश करने की है
           मध्य पूर्व की राजनीति में रूस का प्रभाव बढ़ रहा है इसके विपरीत इस क्षेत्र मे अमेरिका की छवि समस्याओं की धुंध मंडराने लगी है अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के हाल में यरूशलम को इजराइल की राजधानी के तौर पर मान्यता देने से अरब जगत नाराज़ है इस फ़ैसले से क्षेत्र में अमेरिका की दोगले चरित्र वाली छद्म छवि पर से भी पर्दा उठने लगा है
putin in siriya

           सीरिया में रूस के सैन्य अभियान के वैश्विक स्तर पर भी व्यापक नतीजे सामने आए हैं। साल 2014 में क्रीमिया में कथित दखल के बाद रूस को पाश्चात्य प्रभावपूरित अंतरराष्ट्रीय मंच पर निष्कर्मण्य अलगाव का सामना करना पड़ा लेकिन सीरिया में सैन्य अभियान ने इस स्थिति को पलट कर रख दिया पश्चिमी देशों के नेताओं को सीरिया के मामले पर रूस के साथ मिमियाकर बातचीत की मेज पर आना पड़ा, भले वो ऐसा करना चाहते रहे हों या फिर नहीं
            2015 में रूस में कई लोगों को यह आशंका भी थी कि, सीरिया उनके देश के लिए दूसरा अफ़ग़ानिस्तान साबित हो सकता है जिसमें 1980 के दशक में करीब दशक भर लंबे सैन्य अभियान में दस हज़ार से ज्यादा सोवियत सैनिक मारे गए थे। लेकिन आधिकारिक जानकारी के मुताबिक सीरिया में 41 सैनिकों की मौत हुई है रिपोर्टों के अनुसार कुछ दर्ज़न भर निजी ठेकेदारों की मौत की जानकारी सामने आई है। क्रेमलिन के जीत का ऐलान करने और सैनिकों की संख्या में कटौती का संकेत देने साफ है की सीरिया पुतिन का अफ़ग़ानिस्तान नहीं बनने जा रहा है
       क्रेमलिन के नेता के तौर पर पुतिन कुछ समय के दौरान दोबारा चुनाव का सामना करने जा रहे हैं एक उम्मीदवार के तौर पर जन आकांक्षाओं को अपने पक्ष में करने के लिए पुतिन का नारा हो सकता है, 'मिशन पूरा हुआ'। उम्मीदवारी के ऐलान के एक हफ्ते से भी कम वक्त के बाद पुतिन के सीरिया जाने को राजनैतिक पंडितों द्वारा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है
            हालांकि, रूस के सैनिकों की वापसी की इस घोषणा के बाद भी सीरिया के कुछ हिस्सों में कथित इस्लामिक स्टेट संघर्ष कर रहा है सीरिया में संघर्ष अभी पूर्णतः ख़त्म नहीं हुआ है और ऐसी शत-प्रतिशत गारंटी भी नहीं है कि, सीरिया में राजनैतिक स्थिरता लाने के रूस के तमाम प्रयास पूर्णतः कामयाब होंगे रूस के सोची में प्रस्तावित सीरियन पीपुल्स कांग्रेस को अगले साल तक के लिए टाल दिया गया शांति प्रक्रिया के सभी प्रमुख साझेदारों के बीच तमाम मतभेद जस के तस बने हुए हैं
            किसी संघर्ष में जीत का ऐलान वास्तविकता में संघर्ष की समाप्ति नहीं होता खासकर अगर संघर्ष सीरिया के युद्ध की तरह जटिल हो





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